सोशल मीडिया पर बह रही ज्ञान- गंगा की कुछ बूँदे आपके लिए! सेवन अवश्य करिएगा!
सोशल मीडिया पर ज्ञान की गंगा बह रही है। साथ ही नफ़रत और फ़ेक न्यूज़ का गंदा नाला भी। मैं ज्ञान की गंगा में से कुछ बूंदे आपके लिए लाया हूँ जिनमें कुछ बूँदे अपने अनुभव की मिलाकर अपने तरीके से आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि इन बूंदों के सेवन से आपके व्यक्तित्व में अवश्य निखार आएगा! आपको जीवन में मनवांछित सफ़लता हासिल करने में मदद मिलेगी! आपकी सोच-समझ में चार-चाँद लगेंगे! तो चलिए देर किस बात की! ज्ञान-गंगा की बूँदें प्रस्तुत हैं आपके लिए:-
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ऐसा सुंदर जीवन हो! |
2- प्रत्येक सुबह इस विश्वास के साथ अपना दिन शुरु करो कि आज का दिन बीते दिन की अपेक्षा अवश्य ही बेहतर होगा!
3- लंबे समय तक रहने वाली सफ़लता का एक ही रहस्य है कि रोज लगातार प्रयास करते रहिए!
4- मैं दूसरों को जज कैसे कर सकता हूँ जबकि मैं खुद ही सही नहीं हूँ!
5- हमारा हृदय उस सत्य को स्वीकार करने में अधिक वक्त लेता है जिसे हमारा मष्तिष्क पहले ही जानता है!
6- अपनी ख़ुशियों की चाबी दूसरों की जेब में मत रखिए!
7- हर दु:ख से हमें एक सीख मिलती है और उस सीख से हमारा जीवन बेहतर होता है!
8- जीवन की खूबसूरत बात यह भी है कि हम हमेशा बदलते हैं और आगे बढ़ते हैं। हमारे अतीत और गलतियों से हमें परिभाषित नहीं किया जाता!
9- क्रोध से किसी समस्या का समाधान नहीं होता! न किसी वस्तु का निर्माण होता है! उल्टे क्रोध सब बर्बाद कर देता है!
10- ख़ामोशी का मतलब लिहाज भी होता है। लोग अक्सर इसे कमज़ोरी समझ लेते हैं!
11- जब वक्त अच्छा होता है तब दुश्मन भी आपको चाहने लगते हैं लेकिन जब वक्त बुरा होता है अपने भी पराए बन जाते हैं!
12- दूसरों सच्चाई का दर्पण दिखाना सबको पसंद है लेकिन स्वयं कोई नहीं देखना चाहता!
13- लोगों को अपना प्लान मत बताएँ उन्हें अपना रिजल्ट दिखाएँ!
14- जीवन एक बार ही मिला है। इसलिए उस काम को करिए जिससे आप को ख़ुशी तो मिले लेकिन दूसरों को परेशानी न हो। ऐसे लोगों के साथ रहिए जिन्हें आपका ख्याल है!
15- जब आप रोज़ कोशिश करते हैं तो एक दिन वो दिन बन जाएगा जिसकी कल्पना भर से आप रोमांचित हो जाते थे।
16- एक सीख यह भी है कि उन लोगों के लिए अपने आप को आवश्यकता से अधिक न झोंके जो आपके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार नहीं!
17- कभी-कभी कुछ चीजों को जितना हम नियंत्रित करना चाहते हैं उतना ही वो हमें नियंत्रित करने लगती हैं। ऐसी स्थिति में चीजों क उनके हाल पर छोड़ देना ही बेहतर होता है!
18- जब लोग आपकी योग्यता पर प्रश्नचिह्न लगाने लगे तो याद रखें कि लोगों की राय तब तक कोई मायने नहीं रखती जबतक कि आपको अपने आप पर भरोसा है। कुछ भी हो सकता है!
19- क्रोध, वह दंड है जो किसी और की ग़लती के लिए हम अपने आप को देते हैं!
20- उस व्यक्ति की कोई मदद नहीं कर सकता जिसे स्वयं की ग़लती कभी दिखाई नहीं देती!
21- लोगों की मदद करिए। उस व्यक्ति को मुस्कराने की वजह दीजिए जिसे इसकी आवश्यकता हो!
22- असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा, उसके दिमाग़ और उसके हृदय से है! किसी के चेहरे से नहीं!
23- सबसे बड़ा रोग कि मेरे बारे में क्या कहेंगे लोग! इस रोग का इलाज आप ही के पास है! मान कर चलिए कि दूसरों के पास इतना वक़्त नहीं है कि वो आपके बारे में सोचें!
24- याद रखिए कि आज वही दिन है जिसके लिए आप कल तक चिंतित थे!
और इस पोस्ट के आख़िर में..
25- कभी-कभी हमें शब्द वापस लेने पड़ते हैं, अपने अहम् को एक तरफ रखना पड़ता है, और अपने गर्व से ऊँचे उठे सिर को नीचा करते हुए मानना पड़ता है कि हम ग़लत हैं। इसे हारना नहीं कहते! इसे जीवन में आगे बढ़ना कहते हैं! समझदार होना कहते हैं! धन्यवाद!
प्रस्तुति: वीरेंद्र सिंह
वीरेंद्र भाई,सोशल मीडिया पर ज्ञान तो बहुत बिखरा हुआ है। लेकिन हम लोग उसे आत्मसात कहां करते है? सुंदर संकलन।
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही कहा। आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteआदरणीय मीना जी..आपका बहुत-बहुत आभार। सादर।
ReplyDeleteवाह बहुत दिनो के बाद।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति।🌻♥️
शिवम जी..आपका बहुत-बहुत आभार। वाकई बहुत दिन बाद शुरू किया है।
Deleteबहुत ही सार्थक विषय पर सार्थक लेखन,आपका बहुत आभार।
ReplyDeleteधन्यवाद जिग्यासा जी। आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteसुन्दर संकलन...
ReplyDeleteधन्यवाद विकास जी। आगे भी ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Deleteवाह!बहुत सुंदर धीरे-धीरे सभी पोस्ट पढ़ेंगे।
ReplyDeleteसादर
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी। सादर।
Deleteज्ञान की गंगा का यदि एक बून्द भी हमने पी लिया तो आपका लिखना सार्थक हो जाए।
ReplyDeleteबेहतरीन विचार बाँटने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद वीरेंद्र जी,सादर
आपका बहुत-बहुत आभार। सादर कामिनी जी।
Deleteबहुत सुंदरता से आत्म मंथन के पथ दिखाता हुआ आलेख, चरित्र निर्माण के स्तम्भों से सुसज्जित लेखन, साधुवाद सह।
ReplyDeleteआत्म मंथन और चरित्र निर्माण जैसे उचित शब्दों को संज्ञान में लाकर आपने मुझे राह दिखाई है। सर..आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteधन्यवाद ओंकार जी। सादर।
ReplyDeleteइस ज्ञान गंगा में कुछ बूंदें ही क्यों हम तो नहा लिए ������ ।
ReplyDeleteसार्थक चिंतन
आप का बहुत-बहुत आभार आदरणीया संगीता जी। सादर।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर लाभदायक लेख | बहुत बहुत बधाई , ह्रदय से शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteबहुत ही शानदार पोस्ट ।
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी , सुंदर प्रस्तुति।
आपको बहुत-बहुत आभार। सादर धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ज्ञान गंगा... उत्तम विचारों से सजी...बहुत ही उपयोगी लेख।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत आभार सुधा जी। सादर।
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