बड़े-बुजुर्गों
की नसीहतें कितनी काम की होती है ये उन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से बेहतर कौन जानता
होगा जिन्होंने राहुल गांधी की वापसी की ख़ुशी में बड़े अरमानों
से संभाल कर रखे पटाखे जलाए। 2014 के आम चुनाव में हुई भारी पराजय से पार्टी को पटाखे
फोड़ने का मौक़ा ही नहीं मिल रहा था। सारे
पटाखे ऐसे ही रखे थे। भला हो कांग्रेस के अनुभवी नेताओं का जो पटाखें
संभाल कर रखने की सलाह ये कहकर देते थे कि वो मौक़ा भी आएगा जब हमें भी पटाखों की
जरूरत होगी। कुछ दिन सब्र रखो। लंबे इंतज़ार के बाद आख़िर वह वक्त आ ही गया जब
कांग्रेसियों को भी आतिशबाज़ी करने का दिन नसीब हुआ। राहुल अज्ञातवास से वापस लौटे
और कांग्रेसियों ने पटाखें छोड़कर ऐसे जश्न मनाया जैसे राहुल गांधी ओलंपिक मैडल
जीत कर लौटे हों। कमाल की बात ये रही कि ख़ुशी के इस मौक़े पर बीजेपी ने भी
कांग्रेसियों के दूध में नींबू नहीं निचोड़ा बल्कि कांग्रेस का साथ देते हुए पार्टी
कर ली!
बीजेपी ने राहुल की घर वापसी पर न केवल कांग्रेस को बधाई दी बल्कि ज़ोरदार रसगुल्ला दावत भी दी! हद तब हो गई जब ये पता चला कि कांग्रेसी
कार्यकर्ताओं ने उतने पटाखे नहीं फोड़े जितने रसगुल्ले बीजेपी वालों ने निपटा दिए!
वहीं
राहुल गांधी की घर वापसी की तर्ज पर ही पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी अपनी
पुरानी फॉर्म में वापस लौट आए हैं। उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए वरिष्ठ
पार्टी नेत अहमद पटेल
ने मोदी पर हमला बोलते हुए उन्हें दुर्योधन की तरह हठी बताया है तो अपने बड़बोलेपन
के लिए विख्यात / कुख्यात दिग्विजय सिंह ने भी जाने-पहचाने अंदाज में पत्रकारों के एक सवाल
के जवाब में अलगाववादी मसर्रत आलम और गिलानी को ‘साहब’
कहते हुए ऐसे संबोधित
किया जैसे वो दोनों राष्ट्रीय मेहमान हों लेकिन भारत की जनता
द्वारा चुने गए पीएम मोदी में उन्हें हिटलर नज़र आया। दिग्विजय सिंह पहले भी
कुख्यात आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन के लिए ‘ओसामा जी’ और
मुंबई हमलों के आरोपी हाफिज सईद को ‘हाफिज़ साब’
कहकर संबोधित कर चुके हैं। ऐसे में अगर लोगों को लगता कि दिग्विजय सिंह को अपना
चश्मा बदल लेना चाहिए तो इसमें क्या ग़लत है? वैसे अतीत में भी कांग्रेसी नेता पीएम मोदी के
संदर्भ में भाषा की मर्यादा का उल्लंघन
ऐसे ही करते रहे हैं जैसे लोग ट्रैफिक
नियमों का उल्लंघन कर लाल बत्ती पार करते हैं। वहीं अगर कोई सोनिया या राहुल गांधी
के खिलाफ थोड़ा सा भी बोल दे तो कांग्रेसी ऐसे भड़क जाते हैं जैसे पेट्रोल में
जलती हुई माचिस की तिल्ली डाल दी हो। इससे पहले कि आप मुझे कांग्रेस विरोधी
घोषित कर दें साफ कर दूं कि हर
पार्टी में उल्टा-सीधा बोलने वाले नेता
गेंहूं में घुन की तरह हैं। वो चाहे बीजेपी हो या सपा। सब में एक से बढ़कर एक
अंड-बंड बोलने वाले हैं। लेकिन जो बात,
कसक, पीड़ा, तंज, खीज, गुस्सा और सत्ता जाने की टीस कुछ
ख़ास कांग्रेसी नेताओं के ‘बड़बोलों’ में महसूस होती है वो और
कहां? कितने
चालाक है इसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि जमीन अपने लिए ढूंढ रहे हैं
लेकिन रैली में धूप में उन किसानों को खड़ा कर दिया जो इंद्रदेव की लापरवाही से
ऐसे ही परेशान है जैसे साहूकार से परेशान रहते हैं। तय लग रहा है कि किसानों को
सैंडबिच बनाने से पहले छोड़ेगी नहीं कांग्रेस? कांग्रेस की इसी अदा पर अपन फिदा है।
आआपा की विधायक राखी बिडलान का विवादों से ऐसा ही नाता है
जैसा दिल्ली के सीएम का खांसी से। हालांकि अरविंद केजरीवाल को खांसी से राहत मिल
गई है लेकिन बिडलान का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। हालिया विवाद राखी के जन्मदिन पर हुए हंगामें से है। राखी
के जन्मदिन की पार्टी जब पूरे शबाव पर थी कि तभी कुछ लोगों ने वहां पहुंच कर न
केवल हंगामा कर किया बल्कि उनके भाई से
धक्का-मुक्की भी की। अब जब हालात ऐसे हो जाए तो समझ नहीं आता कि जन्मदिन की पार्टी
की ख़ुशी में डांस किया जाए या भाई (और वो भी विधायक) के साथ हुई धक्का-मुक्की के
गम में अपने बाल नोच ले! ऊपर
से राखी को अपनी पार्टी और मीडियावालों को ये सफाई जरूर देनी पड़ रही है कि घर में
खड़ी स्कॉर्पियो गिफ्ट में नहीं मिली है। हालत खाया-पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा
बारह आना जैसे हो गई!
हमारा किसान बेचारा पहले वैसे ही इंद्रदेव के कोप से परेशान हैं और अब राजनीती के कारण सूर्य देव के कोप का भाजन बनाया जा रहा है ... अब वह जाएँ तो कहाँ जाएँ .गंभीर समस्या है पर वाह री राजनीति तू परेशानी में पड़े इंसानों को भी नहीं छोड़ती .....
ReplyDeleteसार्थक चिंतन .
वीरेंद्र भाई कांग्रेस अब ऐसे ही लोगों की जमात रह गई है जिन्हें विषय की तो जानकारी होती नहीं है इसीलिए कोई कहता है मोदी जर्मनी का बना शाल औढे हुए थे ,कोई उनकी जैकिट का दाम बतलाता है तो पप्पूजी पूरी सरकार को ही सूट बूट वाली सरकार कह देते हैं।
ReplyDeleteकोई उनकी विदेश यात्रा का सिलसिले वार ब्योरा दे रहा है। इन्हें बतलाया जाना चाहिए स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये पहली मर्तबा हुआ है कि गणतंत्र दिवस की परेड में विशिष्ठ अतिथि के बतौर शिरकत करने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति अपनी पूरी टीम के साथ आये। बस अमरीका साथ नहीं लाये थे बाकी सारा साजो सामान उनके साथ था। मोदी जी एक ब्लेस्ड पर्सन हैं जिन्हें कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है। आकस्मिक नहीं है आज हर देश भारत में निवेश करने को उतावला है। दस साल बाद आप भारत का आकलन ठीक से कर पायेंगे जब इस देश में आपको घरेलू नौकर और माइयां ढूंढें नहीं मिलेंगी। तरक्की रिसकर आमजन तक पहुंचेगी।
दिग्विजय का उल्लेख करके आप उन्हें ना -हक़ सम्मान दे रहें हैं। आज कांग्रेस का कोई नाम लेवा नहीं हैं इसीलिए अपने घर में ही कवि सम्मलेन कर लेते हैं एक दूजे की तारीफ़ में बिछ जाते हैं। पटाखे छोड़ने लगते हैं अज्ञातवास से लौटे एक शहज़ादे के आगमन पर।आतंकियों के लिए लाल ज़ाज़म बिछा देते हैं।
अज्ञातवास और मेधा का परस्पर कोई संबंध नहीं हैं होता तो ये मंद बुद्धि बालक विषय का प्रतिपादन करता।
केजरीवाल ने जो पटकथा लिखी थी उसका अंत वैसा न हुआ जैसा उन्होंने सोचा था।
उनके भाषण के ज़ारी रहते एक जीवन चला गया। संवेदन हीनता में कौन किस्से आगे है इस दौर में यह कहना बतलाना मुश्किल है। दिग्विजय का बस चले तो भोपाल में ओसामा की मज़ार बनवा दें। आतंकी पालना इनका पुश्तैनी धंधा है इन्हें सिर्फ भगत सिंह और नेता सुभाष से वैर है जिनकी खुफियागिरी वह कांग्रेस करती आई है जिसके ये प्रवक्ता नुमा मदारी हैं।
भिंडरावाला को बहुविध जीवित रखने में ही इनका कौशल है। आपने बेहतरीन व्यंग्य विनोद वाले अंदाज़ में जो कहना चाहा है साफ़ कह दिया है। बधाई इस कटाक्ष के लिए। कांग्रेस का सरयू तट पर तर्पण ये मंद बुद्धि बालक ही करवाएगा। इसे तो कंधे पे बिठाके घुमाइए ,खाली पटाखे छोड़ने से क्या होगा। रक्त बीज है कांग्रेस जब तक एक भी कांग्रेसी बाकी है इस देश को खतरा बना रहेगा।
किसी को किसान की चिंता नहीं. सभी राजनीति के तंदूर पर अपनी अपनी रोटियां सेक रहे हैं. बहुत सार्थक विवेचन..
ReplyDeleteहा..हा.., बहुत खूब। कांग्रेस देश के लिए जरूरी नहीं है, यह तो मजबूरी है।
ReplyDeleteआप ने 'आप 'की नव्ज़ को पकड़ा है पुराने हकीम की तरह बढ़िया व्यंग्य लेखन और सामयिक प्रेरक टिप्पणियों के लिए शुक्रिया वीरेंद्र भाई भाई।
ReplyDeleteआप ने 'आप 'की नव्ज़ को पकड़ा है पुराने हकीम की तरह बढ़िया व्यंग्य लेखन और सामयिक प्रेरक टिप्पणियों के लिए शुक्रिया वीरेंद्र भाई भाई।
ReplyDeleteबहुत ही मस्त व्यंग ... सभी अंपने अपने खेल में लगे हैं ...
ReplyDeleteराहुल बाबा को कांगेर बार बार खींचने में लगी रहती है उनकी साधना पूरी नहीं होने देती ... और आप का तो कल ही नराला है ...
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
व्यंग्य विनोद पूर्ण सशक्त प्रस्तुति। नै का इंतज़ार। शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
ReplyDeleteव्यंग्य विनोद पूर्ण सशक्त प्रस्तुति। नै का इंतज़ार। शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
ReplyDelete'आप 'की नव्ज़ को पकड़ा है
ReplyDeleteशुक्रिया भाई वीरेंद्र आपकी सद्य टिप्पणियों का।
ReplyDeleteशुक्रिया भाई वीरेंद्र आपकी सद्य टिप्पणियों का।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
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