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सांकेतिक चित्र |
झूठ बोले कौआ काटे! हम सभी ने सुना है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि ताकि लोग झूठ बोलने से बचें और सदा सत्य बोलें। और अगर झूठ बोला तो काला कौआ काट लेगा! लेकिन क्या वाकई में कौआ काटता है? अपने आपको सफल मानने वाले और अरबपति (जिनमें नेता, व्यापारी भी शामिल) अगर इस झूठ बोले कौआ काटे वाली बात पर विश्वास करते तो क्या वे अरबपति बन जाते? मेरा मतलब ये है कि अगर वे झूठ बोलने से डरे होते तो क्या वे उस मुकाम को छू पाते जिस मुकाम पर वो आज हैं?
बचपन से ही हमें सच बोलने की सीख दी जाती है। झूठ बोलना पाप है, सदा सच बोलो जैसे उपदेश रोज़ सुनाए जाते रहे हैं। माता-पिता और हमारे गुरुजन का हमेशा से ये मानना रहा है कि एक अच्छे इंसान की पहचान ही यही है कि वो सदा सच बोलता है। ये सीख आज भी उसी तरह दी जा रही है बिना इस बात की परवाह किए कि आज ज़माना कितना बदल गया है। आधुनिक समय में सफलता के लिए झूठ बोलना कितना ज़रुरी हो गया है! बच्चे इस ‘अनावश्यक ज्ञान’ पर बड़ों से सवाल-ज़वाब नहीं करते अन्यथा पलटकर एक बार ज़रूर पूछते कि क्या आप हमेशा ही सच बोलते हैं? अभी तक आप बिना झूठ बोले ही इतने आराम से गुज़र-बसर कर रहे हो? बड़े आए सच बोलने की सीख देने वाले! सच्चाई ये है कि जो जितना बड़ा झूठा होता है, ज़िदंगी में आगे बढ़ने और शान से जीने के उसके अवसर उतने ही ज़्यादा होते हैं! दूसरे शब्दों में कहें तो ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है यह बात हमेशा सच नहीं होती! ईमानदारी के साइड इफैक्ट अर्थात दुष्परिणाम बहुत ज्यादा हैं!
अब देखिए न, नेता लोग अगर सच बोल दें कि हमने इतना माल डकार लिया! हमारे इतने करोड़ रुपये स्विस बैंकों में जमा हैं! हमने वास्तव इतने अपराध किए हैं! हत्या की है! बलात्कार किए हैं! लोगों को लूटा है, उन्हें धोखा दिया। वादे करके कभी पूरे नहीं किए हैं।लोगों को आपस में लड़वाते हैं! हम राजनीति में सेवा करने नहीं बल्कि मेवा खाने के लिए आना चाहते हैं! मंत्री और उनके संतरी ये सच बोल दें कि हम अव्वल नंबर के शातिर चोर हैं। हमने पता भी नहीं चलने दिया और ऑफिस का ऐसा सामान जो आसानी से अपने घर आ सकता था उसे अपने घर लाकर पटक दिया है! हमारी वजह से देश को इतना नुकसान हुआ है! हमने देश सेवा की बजाए जमकर सियासत की है। विरोधियों को ठिकाने लगाना और अपनो का काम कराना ही हमारी दिनचर्या रही है तो क्या होगा? होगा क्या? आधे से ज़्यादा नेता, मंत्री-संतरी जेल में चक्की पीस रहे होंगे! नेताओं का एक तरह से अकाल पड़ जाएगा! उतने नेता बाहर नहीं होंगे जितने ज़ेल में चक्की पीस रहे होंगे! हमारे ऑफिस जाने वाले भाई -बंधु अच्छे से जानते हैं कि कभी- कभी झूठबोलना कितने काम आता है! ऑफिस के सीनियर लोगों का बस चले तो अपने से जूनियर और चपरासी को कभी छुट्टी लेने ही न दें। भला हो झूठ बोलने के गुण का, जरूरत पड़ने पर क्या जूनियर, क्या चपरासी कोई न कोई झूठ बोलकर छुट्टी ले ही लेते हैं।
आप अपने आस-पास ही नज़र उठा कर देख लो। ज़रूरत के वक्त आप सब को भी कैसे झूठ बोलना पड़ता है। जीवन के हर क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को किसी न किसी रूप में झूठ बोलना ही पड़ता है। दूसरी तरफ अगर आपने सच बोलना जारी रखा तो भयानक मुसीबतें काले साए की तरह आपके पीछे पड़ जाएंगी! आपके अपने ही आपको छोड़कर चले जाएंगे! क्षण भर में ही अपने, पराए हो जाएंगे। लोग आपको पागल हटा हुआ, खिसकी हुई बुद्धि का, और न जाने क्या-क्या कहेंगे! ऐसे समय कोई आपका साथ दे न दे, दुर्भाग्य जरूर देगा! हालत ऐसी हो जाएगी कि भगवान भी आपका भला नहीं कर सकता! न घर के रहेंगे न घाट के!
सबक ये है कि भैया आधुनिक सभ्य समाज में अगर शान से आगे बढ़ना है, रुतबे के साथ जीना है तो आज से ही झूठ को कोसना बंद करें! साथ ही ढंग से झूठ बोलने के तौर-तरीकों को सीखें! अपने आप भी सीखें और दूसरों को भी प्रेरित करें! हो सके तो अनुसंधान करें! उचित तरीके से झूठ बोलने के शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था करें! अपने बच्चों को सच बोलने के घातक परिणामों से अवगत कराने के साथ-साथ ही जीवन में आगे बढ़ने में झूठ बोलने का क्या महत्व है ये भी अवश्य बताएं! बताना क्या है जी, ख़ुद प्रैक्टिकल कर के दिखाएं! नया ज़माना है!‘ख़ुद ही सीख जाएगा’ वाली धारणा को छोड़ दें! झूठ बोलने से कौआ नहीं काटता! बच्चे के भेजे में यह बात डालना बहुत जरूरी है! कहीं ऐसा न हो कि जबतक बच्चे को झूठ की महिमा का ज्ञान हो तब तक बहुत देर हो जाए और आपका बच्चा पीछे छूट जाए! यकीन मानिए ऐसा करके आप उनको भविष्य में आने वाली बहुत सारी मुश्किलों से बचा देंगे! अपने बच्चों के लिए आप इतना तो कर ही सकते हैं! भगवान आपका भला करे!
नोट: यह व्यंग्य रचना सबसे पहले मैेने 7 जनवरी 2011 को लिखी जिसे आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। इस पोस्ट पर मिलीं टिप्पणियों को भी पढ़ सकते हैं! थोड़े से परिवर्तन के साथ इस व्यंग्य को पुन: 2015 में प्रस्तुत किया। जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं! एक बार फिर से आपके लिए यहाँ लगा रहा हूँ ताकि आधुनिक युग की सबसे अच्छी कला से आप भी परिचित हो सकें!
विशेष- अगर आपका कॉमेंट दिखाई नहीं देता है तो कोई चिंता की बात नहीं। कॉमेंट के स्पैम में जाने की वजह से ऐसा हो सकता है! लेकिन वो मेरी नज़र में जरूर आ जाएगा जिसे मैं तत्काल लाइव कर दूँगा और आपका कॉमेंट दिखने लगेगा। सभी के साथ ऐसा नहीं हैं। लेकिन कुछ साथियों के कॉमेंट स्पैम में जाने के कारण दिखाई नहीं दिए थे। उम्मीद है कि उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
-वीरेंद्र सिंह
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-7-22}
को बादलों कीआँख-मिचौली"(चर्चा अंक 4493)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आपका बहुत-बहुत आभार! चर्चा मंच में जगह पाना मेरे लिए सम्मान की बात है!
Deleteबहुत बढ़िया लेख ❤️💙🧡👌
ReplyDeleteधन्यवाद शिवम जी! आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteवैसे झूठ की कला बच्चा बहुत जल्दी और स्वयं सीख लेता है । सटीक व्यंग्य ।
ReplyDeleteजी आपने बिल्कुल ठीक लिखा है! आपका का बहुत-बहुत आभार।
Deleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 18 जुलाई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
यह मेरे लिए सम्मान की बात है। आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteएक अरसे से तो इस लेख में बयान की गई बातें सदाबहार हो चुकी हैं। आप तो बस याद दिलाते रहिये ताकि भूल से भी भूल जाने की गुंजाइश न रहे।
ReplyDeleteसर आपको लेख पसंद आया या नहीं इसका पता नहीं चला। वैसे आपको अगर यह नहीं भी पसंद आए तो भी मेरे लिए सम्मान की बात है। आपने पढ़ा मेरे लिए यही काफी है। मेरी नज़र में आप उत्तम कोटि के वो लेखक हैं जिसकी समझ और अनुभव से मेरे जैसे लिखने वालों को लाभ उठाना चाहिए।
Deleteवीरेंद्र भाई, बहुत ही सटीक व्यंग लिखा है आपने।
ReplyDeleteआदरणीय ज्योति जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Deleteएक रोचक लेख।बहुत अच्छा लिखा है आपने।झूठ सृष्टि में यत्र तत्र सर्वत्र विद्यमान है।इतिहास, पुराणो से लेकर आज तक झूठ ने अपना वर्चस्व कायम रखा है औरबालक तो इस के स्वयंसिद्ध हुनरबाज हैं ।सार्थक पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteब्लॉग पर आपका स्वागत है। आपके विचारों से पूरी तरह सहमत। आपका बहुत-बहुत आभार। सादर धन्यवाद।
Deleteनमक-मिर्च के बिना भोजन स्वादिष्ट हुआ है कभी?,झूठ तो मसाला है ,कितना मिलाए ँ अपनी रुचि पर निर्भऱ!
ReplyDeleteबहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने। आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteआज कल तो झूठ का ही वक्त है ,बढ़िया लिखा आपने
ReplyDeleteरंजू भाटिया जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Deleteरोचक शैली में लिखा व्यंग्य सचमुच आईना दिखा गया।
ReplyDeleteझूठ तो झूठ है, सच के सामने ठूँठ है,
झूठ सुंदर तन-जैसा,सच आत्मा की मूठ है।
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सादर।
झूठ और सच के संबंध में आपको विचार जानकर खुशी हुई। आपका बहुत-बहुतआभार।
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