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सांकेतिक चित्र |
राजनीति में पाखंड का स्थान गांधीजी से भी ऊँचा होता है। गांधीजी के बगैर काम बन सकता है लेकिन पाखंड के बिना कुछ हासिल नहीं हो सकता। एड़ा बनकर पेड़ा खाने में माहिर नेताओं की करनी और कथनी में धरती-आसमान का जो अंतर होता है वो इसी पाखंड देव की कृपा से संभव होता है! इसलिए कहा जाता है कि पाखंड राजनीति के प्राण हैं। राजनीति की लाइफलाइन है। पाखंड के बिना नेताजी प्रभावहीन, आभाहीन, धनहीन, मानहीन, कुर्सीहीन, मित्रहीन और एकदम फालतू टाइप के इंसान है जिनके होने या न होने का कोई मतलब नही होता! जैस अच्छी सेहत का राज अच्छे खान-पान और नियमित व्यायाम में छुपा है वैसे ही नेताजी की सफलता का राज पाखंड सुबह-शाम में छुपा है। उनका आदर्श वाक्य ही यह है कि काम कम करो लेकिन पाखंड ज्यादा करो क्योंकि पाखंड ही वो 'देव' है जिसकी शरण में जाए बगैर न कोई नोटिस करता है और न ही कोई आमंत्रित करता है! जिसकी पहले तो सब लानत मलानत करेंगे लेकिन बाद में उसी के चरणों में दंडवत प्रणाम करते हैं। पाखंड ही वो 'दाँव' है जिसका वार कभी खाली नहीं जाता।
आज के वक्त में सबसे ज्यादा काम पाखंड के दम पर ही होते हैं। बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना किया जा सकता है और पर्दा उठने तक आप हर लिहाज से सुरक्षित हैं। सच्चाई सामने आ भी जाए तो नया पाखंड रच सकते हैं। सब कुछ सही तरीके से किया जाए तो आपका बाल भी बांका न होगा। अच्छी बात ये है कि इस मामले में बंदा आत्मनिर्भर है बोले तो पाखंड की क्वालिटी कतई इनबिल्ट होती है! किसी दूसरे से मार्गदर्शन की आवश्यकता इसमें नहीं होती। थोड़ी सी ‘समझदारी’ से भी आसानी से वो होने का नाटक किया जा सकता है जो आप है ही नहीं! पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जी से इस मामले में बहुत कुछ सीखा जा सकता है! वो कई सालों तक पीएम होने का अभिनय जैसा करते रहें! बहुत से लोग उनकी इसी ख़ासियत की वजह से आज भी अपना गुरु मानते हैं।पाखंड की कला जीवनदायिनी, मान-सम्मानदायिनी, रुपया बरसानी और कुर्सीदायिनी है। पाखंड कला से लैस होकर ही होकर ही बंदे को राजनीति में पैर रखना चाहिए। संकट हरने वाली यह कला एक बेहद मजबूत सुरक्षा कवच का काम करती है।
आखिर में बस यही कहना है कि मुसीबत कितनी भी बड़ी हो लेकिन आप कतई चिंता न करे। अपना सारा अनुभव लगाते हुए लगातार पाखंड करते रहिए। इसके दुष्प्रभावों यानि साइड इफैक्टस की कतई चिंता न करो। जनता की याददाश्त बहुत कमजोर है। कुछ ही दिनों में फ्री की सुविधाओं के चक्कर में सब कुछ भूल जाएगी। जनता ये भी जानती है कि सभी सियासी दल पाखंडी हैं। इसलिए आप अपने पाखंड मोड से बिल्कुल बाहर न निकले। देर-सवेर जनता आपका भला करेगी और धीरे-धीऱे आपके कष्टों का निवारण होने लगेगा। आप नयी ऊंचाइयों को छूने लगेंगे! आप को उतना मिलेगा कि आपकी आने वाली पीढ़ियाँ सुबह-शाम आपके ही गुन गाया करेंगी।
ध्यान रखें कि अति सर्वत्र वर्जयेत्। कोई भी लाभदायक वस्तु अपना इस्तेमाल हमेशा सतर्कता से और लिमिट में करना मांगती है क्योंकि किसी भी चीज की ओवरडोज कभी अच्छी नहीं होती और इंसान को मुश्किल में डाल देती है। कई आध्यामिक गुरु और संत इस कला के 'ओवर यूज' के चलते पहले जहां करोड़ों-अरबों के स्वामी बने, बाद में उन्हें जेल में चक्की पीसने का काम करना पड़ा है। और अथाह दौलत कमाने के बाद जेल में सड़ने बेहतर मखमल के ग्द्दों पर चैन की नींद लेना रहेगा। बाकी आप खुद समझदार हैं!
-वीरेंद्र सिंह
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-8-22} को साथ नहीं है कुछ भी जाना" (चर्चा अंक 4535) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय कामिनी जी। सादर।
Deleteबहुत सही लिखा है आपने। शुरू से ही राजनीति में पाखण्ड का दौर रहा है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद नीतिश जी। स्वागत है आपका ब्लॉग पर।
Deleteबहुत ही बढ़िया लिखा आपने। राजनीति के पाखंड का यथार्थ चित्रण
ReplyDeleteआदरणीय अभिलाषा जी..बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteयथार्थ पर सटीक लेखन ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आपका जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 29 अगस्त 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय संगीता स्वरूप जी। सादर।
Deleteनेताजी की सफलता का राज पाखंड में ही छुपा है। बिल्कुल सटीक कथन, वीरेंद्र भाई।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योतिजी। सादर।
Deleteपाखंड के बिना नेताजी प्रभावहीन, आभाहीन, धनहीन, मानहीन, कुर्सीहीन, मित्रहीन और एकदम फालतू टाइप के इंसान है जिनके होने या न होने का कोई मतलब नही होता!
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत सटीक एवं लाजवाब लेख ।
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुधा जी। सादर।
Deleteबहुत बढिया प्रिय वीरेंद्र जी।पाखंड पर खूब प्रकाश डाला आपने। पाखंडी विधा में पारंगत सत्ताधारीयों को तो आईना दिखा दिया आपने पर इनसे कदम से कदम मिला कर चलते कथित धर्म गुरुओं और बाबाओं को भूल गए हैं शायद।राजनीति की पाखंडी लाइफ लाईन को प्राण वायु देने में इनका भरपूर सहयोग रह्ता है। पर ये भी सच्चाई है कि नेताजी कितनी भी नाटकबाजी कर लें ये मुलम्मा एक दिन उतर ही जाता है।सार्थक लेख के लिए बधाई आपको।
ReplyDeleteआपने सत्य लिखा। जीवन के हर क्षेत्र में पाखंड की घुसपैठ है। आपने यह भी सही लिखा कि पाखंड का मुलम्मा एक न एक दिन उतर ही जाता है। इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए आपका आभार। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
Deleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।